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नए साल पर मिली बड़ी राहत, सस्ता हुआ एलपीजी सिलेंडर; 5 महीने बाद घटा है दाम

बुधवार 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत हो चुकी है. पहले ही दिन लोगों को खुशखबरी मिली है. नए साल की पहली तारीख को ऑयल एंड मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर के दाम अपडेट कर दिए हैं. जानकारी के मुताबिक गैस सिलेंडर के दामों में कमी की गई है. ये कटौती सभी राज्यों में अलग-अलग हुए हैं.

बता दें, कंपनियों ने यह कटौती 19 किग्रा. वाले कमर्शियल गैस सिलेंडर के दामों में की है. दिल्ली से लेकर मायानगरी तक 14 से 16 रुपये तक कम हुए हैं. वहीं, घरेलू गैस सिलेंडर के दाम जस के तस बने हुए हैं. इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है.

जानें कितनी की हुई कटौती

1 जनवरी 2025 को 19 किग्रा. वाले कमर्शियल गैस के नए रेट आज से लागू हो गए हैं. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की वेबसाइट के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नए रेट एब 1804 रुपये हो गए हैं. पहले ये 1818.50 रुपये में बिक रहा था. यानी कि 14.50 रुपये की कटौती की गई है. बात मायानगरी मुंबई की करें तो यहां 15 रुपये की कमी की गई है. अब यही सिलेंडर 1756 रुपये में बिकेगा. इससे पहले इसका रेट 1771 रुपये था. अब बात कोलकाता की करें तो यहां 16 रुपये की कमी की गई है. नए रेट 1927 के घटकर 1911 रुपये हो गई है. आखिरी में बात चेन्नई की करें तो यहां 1980.50 रुपये में बिकने वाला कमर्शियल सिलेंडर अब 1966 रुपये में उपलब्ध होगा. यानी यहां 14.50 रुपये की कमी हुई है.

पिछले महीने क्या थे रेट

जानकारी के मुताबिक साल 2024 के आखिरी महीने दिसंबर में 19 किग्रा. वाले सिलेंडर के दामों में बढ़ोत्तरी की गई थी. दिल्ली में इसकी कीमत 1802 रुपये से बढ़ाकर 1818.50 रुपये कर दी गई थी. वहीं, कोलकाता में इसके रेट 1911.50 रुपये से बढ़कर 1927 रुपये हुई थी. मुंबई में इसी सिलेंडर के दाम 1754.50 से बढ़ाकर 1771 रुपये कर दिए गए थे. चेन्नई में 1964.50 रुपये से बढ़कर 1980.50 रुपये कर दिए गए थे.

घरेलू गैस सिलेंडर के दाम यथावत

कंपनियों ने घरेलू गैस सिलेंडर के दामों को अपरिवर्तित रखा है. इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है. इसके दाम अगस्त से स्थिर हैं. यह सिलेंडर दिल्ली में 803 रुपये में उपलब्ध है. कोलकाता में यही सिलेंडर 829 रुपये, मुंबई में 802.50 रुपये और चेन्नई में 818.50 रुपये पर बने हुए हैं.

1 जनवरी 2025 से बदल जाएगा बैंक खुलने का समय, टाइमिंग चेक करके ही जाएं बैंक

नई दिल्ली: क्या आपको हर दिन बैंकों में काम होता है? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए है. और अगर आप कभी-कभार जाते हैं, तो यह खबर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. आज के समय में बैंकों का इस्तेमाल सिर्फ पैसे निकालने और जमा करने के लिए ही नहीं होता, बल्कि कई दूसरे काम भी करने पड़ते हैं. हर बैंक के खुलने और बंद होने का समय अलग-अलग हो सकता है और इस एक वजह से कई बार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार ने बैंकिंग सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक अहम कदम उठाया है. मध्य प्रदेश के सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के खुलने और बंद होने का समय अब ​​एक ही होगा. यह बदलाव 1 जनवरी 2025 से लागू होगा. इस तारीख से सभी बैंक सुबह 10 बजे से खुलेंगे और शाम 4 बजे बंद होंगे.

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई है और समिति का मानना ​​है कि इस कदम से बैंकिंग सेवाओं को सुचारू बनाने में मदद मिलेगी. यह बदलाव क्यों जरूरी है?

अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग समय होने की वजह से ग्राहक भ्रमित हो जाते हैं और उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कुछ बैंक सुबह 10 बजे खुलते हैं तो कुछ बैंक 10:30 या 11 बजे. इस असमानता की वजह से उन ग्राहकों को काफी परेशानी होती है जिन्हें एक बैंक से दूसरे बैंक जाना होता है.

ग्राहकों के लिए बेहतर सुविधा

ग्राहक अब अलग-अलग बैंकों के शेड्यूल के हिसाब से प्लानिंग किए बिना सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में जा सकते हैं. एक जैसा शेड्यूल होने से अव्यवस्था कम होगी. इससे भीड़ को मैनेज करना आसान होगा और ग्राहकों को लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

बैंकों के बीच बेहतर समन्वय

सभी बैंकों के एक ही समय पर काम करने से इंटर-बैंक ट्रांजेक्शन और कस्टमर रेफरल जैसी सेवाओं में बेहतर समन्वय होगा. इससे कर्मचारियों को भी फायदा होगा. क्योंकि इससे ऑफिस शिफ्ट की बेहतर प्लानिंग करने में मदद मिलेगी और इससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी.

मध्य प्रदेश के इस कदम को भारत के अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है. देशभर में बैंकों के अलग-अलग खुलने के समय से भ्रम और निराशा पैदा होती है, ऐसे में यह कदम अन्य क्षेत्रों को भी इसी तरह के बदलाव अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है.

ATM ट्रांजेक्शन फेल होने पर न हों परेशान, 5 दिन में पैसा वापस न करने पर बैंक को देना होगा रोजाना 100 रुपए का जुर्माना

नई दिल्ली: आप एटीएम गए, पैसे निकालने की कोशिश की, लेकिन ट्रांजेक्शन फेल हो गया. खाते से पैसे कट गए. आप किसी को पैसे भेज रहे थे, ट्रांजेक्शन फिर फेल हो गया और पैसे कट गए. ऐसा अक्सर होता है. यही वजह है कि RBI ने इसके लिए सख्त नियम बनाए हैं. अगर किसी का कोई मनी ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है, तो बैंक एक सीमित समय अवधि के भीतर रिफंड कर देता है. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो बैंक को पेनाल्टी देनी होगी. बैंक को फेल ट्रांजेक्शन पर खाते से कटे पैसे को वापस करना होगा. अगर बैंक ऐसा नहीं करता है, तो रोजाना 100 रुपये पेनाल्टी देनी होगी. इसको लेकर बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का इस पर क्या सख्त नियम है.

RBI का TAT हार्मोनाइजेशन नियम

RBI ने 20 सितंबर 2019 को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें TAT यानी टर्न अराउंड टाइम को बराबर करने और ग्राहकों को मुआवजा देने के निर्देश दिए गए थे. RBI के अनुसार, अगर बैंक किसी ट्रांजेक्शन फेल होने की स्थिति में डेबिट किए गए पैसे को समय सीमा के भीतर रिवर्स नहीं करता है, तो बैंक को इस पर जुर्माना देना होगा. बैंक जितने दिनों की देरी करेगा, जुर्माना प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ता जाएगा.

जुर्माना राशि कब मिलती है?

बैंक ट्रांजेक्शन की प्रकृति यानी फेल हुए ट्रांजेक्शन के प्रकार के आधार पर जुर्माना देता है. बैंक जुर्माना तभी देगा, जब ट्रांजेक्शन फेल होने के पीछे कोई ऐसा कारण हो, जिस पर आपका कोई कंट्रोल न हो. अगर आपको अपने ट्रांजेक्शन के रिवर्स होने का समय पता है, तो आप बैंक से संपर्क कर जुर्माना मांग सकते हैं.

किन स्थितियों में जुर्माना लगाया जाता है?

अगर आप ATM से ट्रांजेक्शन करते हैं और आपके खाते से पैसे कट जाते हैं, लेकिन कैश नहीं निकलता है, तो बैंक को ट्रांजेक्शन के दिन से 5 दिनों के भीतर इसे रिवर्स करना होगा, ऐसा न करने पर आपसे प्रतिदिन 100 रुपये का जुर्माना लिया जाएगा.

अगर कार्ड-टू-कार्ड ट्रांसफर फेल हो जाए

अगर आपने कार्ड-टू-कार्ड ट्रांसफर किया है और आपके खाते से पैसे कट गए हैं, लेकिन लाभार्थी के खाते में नहीं पहुंचे हैं, तो बैंक को दो दिन (T+1) यानी ट्रांजेक्शन के दिन और अगले दिन के भीतर डेबिट को रिवर्स करना होगा, नहीं तो आपको बैंक को 100 रुपये का जुर्माना देना होगा.

अगर PoS, IMPS ट्रांजेक्शन फेल हो जाए

अगर PoS, कार्ड ट्रांजेक्शन, IMPS, UPI में आपके खाते से पैसे कट गए हैं, लेकिन दूसरे खाते में जमा नहीं हुए हैं, तो RBI ने इसके लिए बैंक को T+1 दिन का समय दिया है. अगर इस अवधि में पैसे ट्रांसफर नहीं हुए, तो अगले दिन से बैंक पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

आईफोन और एंड्राइड ऐप से ओला-उबर कैब बुक करने पर अलग-अलग चार्ज? जानें क्या है पूरा विवाद

नई दिल्ली: सोशल मीडिया एक्स पर एक शख्स ने उबर कैब का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, जो खूब ट्रेंड कर रहा है. शख्स ने आरोप लगाया है कि राइड कंपनियां एक तरह की सर्विस के लिए आईफोन यूजर्स और एंड्रॉइड यूजर्स की तुलना में अधिक पैसे चार्ज करती है.

क्या है मामला?

सोशल मीडिया पर हाल ही में एक पोस्ट ने उबर यूजर के बीच अलग-अलग डिवाइस से राइड बुक करते समय किराए में अंतर के बारे में चिंता को फिर से जगा दिया है. सुधीर, जो उबर के नियमित यूजर हैं. यूजर ने एक्स पर अपना अनुभव साझा किया, जहां सुधीर ने अपने फोन और अपनी बेटी के फोन पर एक ही यात्रा के लिए कीमत में काफी अंतर देखा.

उबर ने दिया जवाब

उबर ने तुरंत जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे कई कारण हैं जो एक ही यात्रा के लिए अलग-अलग किराए का कारण बन सकते हैं. इन दो राइड्स में कई अंतर कीमतों को प्रभावित करते हैं. इन अनुरोधों पर पिक-अप पॉइंट, ईटीए और ड्रॉप-ऑफ पॉइंट अलग-अलग होते हैं, जिससे अलग-अलग किराए होंगे. उबर राइडर के सेल फोन निर्माता के आधार पर ट्रिप प्राइसिंग को पर्सनालाइज्ड नहीं करता है.

पहली बार ऐसा नहीं हुआ

यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के मुद्दे उठाए गए हैं. पिछले हफ्ते बोकाप डिजाइन्स की संस्थापक-क्रिएटिव डायरेक्टर निराली पारेख ने Android और iPhone डिवाइस के बीच किराए में अंतर के बारे में एक समान पोस्ट साझा की थी. इसके अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जेप्टो पर भी iPhone यूजर के लिए अधिक शुल्क लेने का आरोप लगाया गया था, जिससे डिवाइस के प्रकार के आधार पर ऐप्स में मूल्य असमानताओं के बारे में व्यापक चर्चा शुरू हो गई.

भारत की सबसे पसंदीदा Dish जानते हैं…हर मिनट 158 लोग करते हैं ऑर्डर

नई दिल्ली: बिरयानी के लिए भारत का प्यार इसकी समृद्ध पाक विरासत और इस व्यंजन की अलग-अलग क्षेत्रों और संस्कृतियों के लोगों को एकजुट करने की क्षमता का प्रमाण है. पूरे भारत में व्यापक रूप से खाए जाने के कारण, यह व्यंजन क्षेत्रीय सीमाओं और सामाजिक विभाजनों को पार करता है. हाल ही में स्विगी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इस साल 83 मिलियन प्लेट बिरयानी खाई, जिसमें प्रति मिनट 158 ऑर्डर थे, जो लगातार 9वें साल अपना स्थान बनाए हुए है.

हैदराबाद में बिरयानी का क्रेज

परिवार या दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाएं या फिर कोई पार्टी, बिरयानी इन दिनों जरूर पसंद की जाती है. चाहे कितनी भी रेसिपी आ जाएं, बिरयानी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. हैदराबाद में बिरयानी की रेंज इतनी है कि इस साल 1.57 करोड़ प्लेट बिरयानी का ऑर्डर दिया गया है. इस हिसाब से एक मिनट में 34 बिरयानी का ऑर्डर दिया जा रहा है. यह देश में सबसे ज्यादा है. सिर्फ दोपहर और रात ही नहीं.. ऐसे भी लोग हैं जो सुबह 4 बजे भी बिरयानी का ऑर्डर दे रहे हैं. मंगलवार को स्विगी ने हैदराबाद के एक साल के बिरयानी ऑर्डर का खुलासा किया.

हर मिनट 158 बिरयानी ऑर्डर

8.3 करोड़ ऑर्डर के साथ, बिरयानी इस साल भी भारत में ऑर्डर की जाने वाली सबसे पसंदीदा डिश बन गई है. स्विगी के अनुसार, देश में हर मिनट 158 प्लेट बिरयानी ऑर्डर की जाती है. हैदराबाद 97 लाख बिरयानी ऑर्डर के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है.

दूसरे स्थान पर डोसा

बिरयानी के बाद डोसा के लिए दूसरा सबसे बड़ा ऑर्डर रहा, जिसके लिए 1 जनवरी से 22 नवंबर के बीच 23 मिलियन ऑर्डर आए. स्विगी की रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटफॉर्म की क्विक डिलीवरी सर्विस बोल्ट ने भी सुर्खियां बटोरीं. बीकानेर में, एक मिठाई प्रेमी को सिर्फ 3 मिनट में आइसक्रीम के तीन फ्लेवर मिल गए, जो स्विगी के संचालन की गति को दर्शाता है. इस साल मिठाइयों में रसमलाई और सीताफल आइसक्रीम सबसे ज्यादा पसंद की गई.

हैदराबाद में 17.54 लाख डोसा ऑर्डर

अगर स्विगी के ऑर्डर ऐसे ही हैं तो समारोह और रेस्टोरेंट में परोसी जाने वाली बिरयानी की संख्या जोड़ दें तो बिरयानी की संख्या बहुत ज्यादा हो जाएगी. ज्यादातर लोग चिकन बिरयानी खाते हैं. एक व्यक्ति साल में 60 बिरयानी पर 18,840 रुपये खर्च करता है. क्रिकेट देखते हुए बिरयानी खाने की बात ही अलग है. यही वजह है कि टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान करीब 8.69 लाख ऑर्डर दिए गए. बिरयानी जहां दोपहर और शाम को खाई जाती है, वहीं डोसा ज्यादातर सुबह के समय ऑर्डर किया जाता है. इस लिस्ट में हैदराबाद ने देश में पहला स्थान हासिल किया है. करीब 17.54 लाख डोसा ऑर्डर किए गए.

TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को दिया बड़ा आदेश, डेटा नहीं इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए उतारें नए प्लान

नई दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने देश में बेसिक या फीचर फोन का उपयोग करने वाले लगभग 15 करोड़ टेलीफोन यूजर्स को बड़ी राहत दी है. ट्राई ने एयरटेल, रिलायंस जियो, वोडफोन इंडिया और बीएसएनएल जैसी दूरसंचार कंपनियों से केवल वॉयस और एसएमएस सेवाओं के लिए मोबाइल रिचार्ज प्लान पेश करने को कहा है, क्योंकि इन मोबाइल यूजर्स को डेटा प्लान की जरूरत नहीं होती है.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सोमवार को दूरसंचार उपभोक्ता संरक्षण (12वां संशोधन) नियम, 2024 जारी किया, जिसके तहत दूरसंचार कंपनियों को केवल वॉयस और एसएमएस सेवाओं के लिए मोबाइल पैक लॉन्च करना अनिवार्य कर दिया गया है.

संशोधित नियम आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के 30 दिन बाद लागू होंगे. ट्राई ने टेलीकॉम यूजर्स के विचार जानने के लिए वर्ष 2022 के अंत में तीन महीने लंबा सर्वेक्षण किया था.

सर्वेक्षण में, ट्राई ने मोबाइल टैरिफ के विकास, उपभोक्ता संरक्षण विनियमों की प्रभावशीलता, तथा दूरसंचार कंपनियों द्वारा प्रकाशित या विज्ञापित मोबाइल रिचार्ज ऑफर में पारदर्शिता ढांचे की प्रभावशीलता पर मोबाइल यूजर्स के विचार मांगे.

ट्राई ने इस साल जुलाई में परामर्श पत्र जारी किया था और सोमवार को उसने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 की धारा 11 और 36 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संशोधित उपभोक्ता संरक्षण नियम जारी किए.

नए संशोधित विनियमन में ट्राई ने कहा, “दूरसंचार कंपनियों के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 15 करोड़ मोबाइल यूजर्स अभी भी फीचर फोन का उपयोग करते हैं, जो बिना डेटा वाले रिचार्ज प्लान के विकल्पों की आवश्यकता को उजागर करता है.”

दूरसंचार ऑपरेटरों को बिना डेटा वाले मोबाइल रिचार्ज प्लान पेश करने के लिए कहने के अलावा, ट्राई ने रिचार्ज अवधि की वैधता, रिचार्ज कूपन की कलर कोडिंग आदि से संबंधित नियमों में भी संशोधन किया है.

ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों से स्पेशल टैरिफ वाउचर (एसटीवी) और कॉम्बो वाउचर (सीवी) की वैधता मौजूदा 90 दिनों से बढ़ाकर एक साल करने को कहा है. इन नए उपभोक्ता संरक्षण नियमों के लागू होने के बाद मोबाइल यूजर्स के पास इन स्पेशल और कॉम्बो वाउचर के जरिये 365 दिनों के लिए अपने मोबाइल नंबर को रिचार्ज करने का विकल्प होगा.

इसके अलावा, मोबाइल कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए ट्राई ने कलर कोड प्रकाशन की बाध्यता भी समाप्त कर दी है. दूरसंचार नियामक ने कहा, “ऑनलाइन रिचार्ज की प्रमुखता को देखते हुए वाउचर्स की भौतिक रूप में कलर कोडिंग को समाप्त कर दिया गया है.”

इन उपायों के अलावा, ट्राई ने 10 रुपये या इसके गुणकों (multiples) में टॉप-अप रिचार्ज रिजर्व रखने की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया है, लेकिन उसने दूरसंचार कंपनियों से 10 रुपये का कम से कम एक टॉप-अप वाउचर की अनिवार्यता बरकरार रखने को कहा है.

फीचर फोन के लिए डेटा प्लान हटाने की वजह

जब ट्राई ने मोबाइल यूजर्स और उपभोक्ता संगठनों से विचार मांगे तो यह स्पष्ट था कि सभी यूजर्स के लिए मोबाइल डेटा को अनिवार्य रूप से बंडल करने की प्रथा कुछ विशिष्ट वर्गों जैसे कि बुजुर्ग व्यक्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जरूरतों के अनुसार नहीं थी, जो ज्यादातर बेसिक फोन या फीचर फोन का इस्तेमाल करते हैं.

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दूरसंचार कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे केवल वॉयस कॉल और मैसेज के लिए रिचार्ज प्लान पेश करें, जिसमें इंटरनेट डेटा खरीदने की कोई बाध्यता नहीं होगी.

दूसरा, इसने विशेष टैरिफ वाउचर और कॉम्बो वाउचर की वैधता अवधि को मौजूदा 90 दिनों से बढ़ाने की आवश्यकता का भी आकलन किया और इसने वाउचर और उनके मूल्यवर्ग के रंग कोडिंग पर हितधारकों के विचार भी मांगे.

स्पष्टीकरण नोट में ट्राई ने साफ किया कि सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल को छोड़कर अन्य सभी दूरसंचार कंपनियां अलग-अलग वॉयस और एसएमएस रिचार्ज पैक का विरोध कर रही हैं, जबकि उपभोक्ता संगठन और अन्य हितधारक इस प्रकार के मोबाइल रिचार्ज के पक्ष में हैं.

हालांकि, परामर्श के बाद ट्राई ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया क्योंकि ये वॉयस और एसएमएस रिचार्ज पैक बड़ी संख्या में यूजर्स, विशेषकर उन 15 करोड़ मोबाइल यूजर्स के लिए फायदेमंद होंगे, जो बेसिक फोन का उपयोग करते हैं. ट्राई ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा डेटा सेवाओं पर जोर दिए जाने के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों और बुजुर्ग आबादी में बड़ी संख्या में यूजर्स डेटा का उपयोग करने के इच्छुक नहीं हैं.

वाई-फाई वालों के लिए डेटा प्लान की जरूरत नहीं

इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में भी लोगों के घर में ब्रॉडबैंड वाई-फाई डेटा है और जब उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है, तो उन्हें डेटा पैक के साथ रिचार्ज करने के लिए मजबूर करना उचित नहीं होगा.

तीसरा, बैंक, आधार, आईटीआर भरने की रिपोर्ट आदि में दिए गए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) प्राप्त करने के लिए वॉयस और एसएमएस पैक की जरूरत होती है. यह महसूस किया गया कि वॉयस और एसएमएस पैक विशेष रूप से तब फायदेमंद होंगे, जब रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर यूजर का प्राथमिक नंबर न हो.

ट्राई ने अमेरिका, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कुछ अन्य देशों में प्रचलित प्रथाओं का भी हवाला दिया, जहां दूरसंचार कंपनियां जैसे अमेरिका में टेलो, बांग्लादेश में बांग्लालिंक और ग्रामीफोन तथा पाकिस्तान में टेलीनॉर अपनी वेबसाइटों पर वॉयस और एसएमएस पैक तथा इंटरनेट उपयोग कैलकुलेटर की पेशकश करती हैं और ये ऑफर उपभोक्ताओं को अपने लिए सबसे उपयुक्त ऑफर चुनने की सुविधा देते हैं.

सरकार के डेटा उपयोग को बढ़ाने के प्रयासों पर कोई असर नहीं पड़ेगा: ट्राई

ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों की इस आपत्ति को भी खारिज कर दिया कि वॉयस और एसएमएस पैक सिर्फ डेटा उपयोग बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को प्रभावित करेंगे. ट्राई ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां वॉयस, एसएमएस और मोबाइल डेटा या केवल मोबाइल डेटा पैक के लिए बंडल पैक पेश करना जारी रख सकती हैं.

अडानी ग्रुप 400 करोड़ रुपये में एयर वर्क्स का करेगा अधिग्रहण, एविएशन सेक्टर में बढ़ेगा दबदबा

नई दिल्ली: अडाणी समूह ने सोमवार को कहा कि वह विमानन रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सेवा फर्म एयर वर्क्स का 400 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर अधिग्रहण करेगा.

अडाणी समूह ने एक बयान में कहा कि अडाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (एडीएसटीएल) ने भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की एमआरओ कंपनी एयर वर्क्स में 85.8 फीसदी शेयरधारिता हासिल करने के लिए एक शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसकी ऑल इंडिया उपस्थिति सबसे बड़ी है. 35 शहरों में फैले परिचालन और 1,300 से अधिक कर्मियों के कार्यबल के साथ एयर वर्क्स फिक्स्ड-विंग और रोटरी-विंग दोनों प्रकार के विमानों की सर्विसिंग में व्यापक विशेषज्ञता रखता है.

इस अधिग्रहण से रक्षा एमआरओ क्षेत्र में अडाणी की क्षमताएं बढ़ेंगी और भारत के एयर डिफेंस इकोसिस्टम में इसकी स्थिति मजबूत होगी. यह रणनीतिक कदम अडाणी के विकास पथ में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो नागरिक उड्डयन सेवा क्षेत्र में इसके विस्तार की नींव रखता है.

एयर वर्क्स अपने भारतीय और वैश्विक ग्राहकों को लाइन रखरखाव, भारी जांच, आंतरिक नवीनीकरण, पेंटिंग, रिडिस्ट्रिब्यूशन जांच, एवियोनिक्स के साथ-साथ एसेट मैनेंजमेंट सेवाओं के साथ विमानन सेवाओं का एक संपूर्ण सर्विस देता है.

कंपनी होसुर, मुंबई और कोच्चि में अपनी सुविधाओं से नैरोबॉडी और टर्बोप्रॉप विमानों के साथ-साथ रोटरी विमानों के लिए बेस रखरखाव का काम करती है और 20 से अधिक देशों के नागरिक विमानन प्राधिकरणों से विनियामक सब्सक्रिप्शन प्राप्त करती है.

GST काउंसिल की बैठक के बाद क्या सस्ता, क्या महंगा? यहां लीजिए पूरी जानकारी

नई दिल्ली: जीएसटी परिषद की बैठक में शनिवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. राजस्थान के जैसलमेर में 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्य सरकारें विमान टरबाइन ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमत नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर में कमी के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया, क्योंकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) को इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए अधिक समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीमा नियामक इरडा सहित कई पक्षों से सुझावों का इंतजार है.

सीतारमण ने बताया कि जीएसटी परिषद ने टैक्स दरों को तर्कसंगत करने के संबंध में निर्णय को भी स्थगित कर दिया है, क्योंकि जीओएम को व्यापक अध्ययन के लिए अधिक समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि परिषद ने फोर्टिफाइड चावल और जीन थेरेपी सहित विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी दर संशोधन के संबंध में सुझाव दिए.

जीएसटी परिषद के प्रमुख फैसले

  • होटल और रेस्‍टोरेंट पर 18 प्रतिशत जीएसटी बरकरार
  • ऑनलाइन गेमिंग पर फिलहाल जीएसटी नहीं
  • एसीसी ब्लॉकों (50 फीसदी से अधिक फ्लाई ऐश वाले) पर अब 12 प्रतिशत जीएसटी
  • काली मिर्च और किशमिश (किसान द्वारा आपूर्ति पर) पर कोई जीएसटी नहीं
  • पुरानी ईवी (सेकंड हैंड) पर जीरो प्रतिशत
  • नमक व मसालों से मिक्‍स रेडी टूट ईट वाले पॉपकॉर्न पर 5 प्रतिशत जीएसटी
  • पैक और लेबल वाले पॉपकॉर्न पर 12 प्रतिशत जीएसटी
  • कारमेल पॉपकॉर्न पर 18 प्रतिशत जीएसटी
  • स्विगी और ज़ोमैटो जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफार्म पर टैक्स दरों पर निर्णय स्थगित
  • क्षतिपूर्ति उपकर पर कोई समयसीमा नहीं
  • दरों को तर्कसंगत बनाने पर निर्णय स्थगित
  • बीमा प्रीमियम पर कर में कटौती का फैसला टला
  • जेट ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमत नहीं बनी
  • बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा उधारकर्ताओं पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क पर कोई जीएसटी देय नहीं होगा
  • पूर्व-पैकेज्ड और लेबल वाली वस्तुओं की परिभाषा में संशोधन की सिफारिश की
  • जीन थेरेपी जीएसटी से मुक्त
  • फोर्टिफाइड चावल पर जीएसटी दर घटाकर 5 प्रतिशत की गई

आंध्र प्रदेश की 1 प्रतिशत आपदा उपकर की मांग पर बनेगा जीओएम

इसके अलावा, जीएसटी परिषद ने प्राकृतिक आपदा से हुए नुक्सान की भरपाई के लिए संसाधन जुटाने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा कुछ लग्जरी वस्तुओं पर 1 प्रतिशत आपदा उपकर की मांग पर विचार करने के लिए मंत्रिसमूह (जीओएम) गठित करने का निर्णय लिया है. आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि जीओएम गठित करने पर आम सहमति बनी है. उन्होंने कहा, “उपकर विलासिता वस्तुओं और राज्य विशेष शुल्क पर होगा.”

1 करोड़ का जुर्माना, 10 साल की जेल… अब लोन ऐप्‍स वालों की खैर नहीं! सरकार ने रखा प्रस्‍ताव

केंद्र सरकार ने एक नया प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत रिजर्व बैंक (RBI) या अन्य नियामक एजेंसियों की मंजूरी के बिना लोन देना या किसी तरह का कोई ट्रांजैक्शन करना गैर जमानती अपराध माना जाएगा और इसके लिए जुर्माने के साथ दस साल तक की जेल होने की भी बात कही गई है. इसके पीछे सरकार का मकसद उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए अनियमित लोन देने की गतिविधियों पर रोक लगाना है.

डिजिटल लोन को लेकर आरबीआई की वर्किंग ग्रुप ने नवंबर 2021 में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए अनियमित लोन पर रोक लगाने के लिए कानून पेश करने सहित कई उपाय सुझाए थे. इनमें रिजर्व बैंक या अन्य रेगुलेटेड बॉडी में रजिस्ट्रेशन के बिना पब्लिक लेंडिंग में सक्रिय रहने वालों पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही गई थी. हालांकि, इसमें अपने रिश्तेदार या जान-पहचान वालों से लोन लेने वालों को शामिल नहीं किया गया था.

कानून का उल्लंघन करने पर होगी सजा

सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि अगर कानून का उल्लंघन करते हुए कोई डिजिटली या अन्य तरीके से लोन देता है, तो उसे कम से कम दो साल कैद की सजा हो सकती है, जिसकी अवधि सात साल तक बढ़ाई जा सकती है. इसके साथ ही दो लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. विधेयक में यह भी कहा गया कि अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित है या कुल राशि इतनी बड़ी है कि जिससे सार्वजनिक हित महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हो तो जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी.

इंस्टैंट लोन ऐप बना सिरदर्द

दरअसल, बीते कुछ सालों में मोबाइल के जरिए इंस्टैंट देने के मामले में तेजी आई है. अक्सर इन पर इंटरेस्ट रेट अधिक होता है, कई अघोषित शुल्क जुड़े होते हैं, लोन की वसूली भी आक्रामक तरीके से की जाती है. कई बार इन सबसे इंसान इतना परेशान हो जाता है कि वह खुदकुशी कर लेता है.  इसे देखते हुए सितंबर 2022 से अगस्त 2023 तक गूगल ने अपने प्ले स्टोर से 2,200 से ज्यादा ऐसे ऐप हटा दिए हैं.

खुशखबरी! बिहार में बहार, अडाणी ग्रुप करने जा रहा है बंपर निवेश

नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी (Gautam Adani) के अदाणी ग्रुप ने बिहार में 27,900 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया है। इससे लगभग 53,500 लोगों के लिए रोजगार के मौके पैदा होंगे। अदाणी ग्रुप यह निवेश थर्मल पावर, स्मार्ट मीटर, सीमेंट, लॉजिस्टिक्स, गैस डिस्ट्रीब्यूशन और एग्री-लॉजिस्टिक्स समेत अलग-अलग सेक्टर में करेगा।

इस बात का एलान अदाणी एंटरप्राइजेज के मैनेजिंग डायरेक्टर (एग्रो, ऑयल एंड गैस) और डायरेक्टर प्रणव अदाणी ने शुक्रवार (20 दिसंबर) को ‘बिहार बिजनेस कनेक्ट इन्वेस्टर समिट 2024’ में किया। उन्होंने इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री के काम और विजन की तारीफ भी की। आइए जानते हैं कि अदाणी ग्रुप बिहार में किस तरह से निवेश करेगा।

तीन सेक्टर में 2,300 करोड़ रुपये का निवेश

अदाणी ग्रुप लॉजिस्टिक्स, गैस डिस्ट्रीब्यूशन और एग्री-लॉजिस्टिक्स सेक्टर्स में कुल 2,300 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करेगा। इससे 27,000 अतिरिक्त डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार के मौके भी पैदा होंगे। अडाणी ग्रुप का कहना है कि वह पहले इन सेक्टर में 850 करोड़ रुपये कर चुका है। इससे 25,000 लोगों को रोजगार मिला है।

स्ट्रैटेजिक इन्फ्रा में 1,000 करोड़ रुपये का निवेश

अदाणी ग्रुप गति शक्ति रेलवे टर्मिनल्स, ICDs (इनलैंड कंटेनर डिपो) और इंडस्ट्रियल वेयरहाउसिंग पार्क्स समेत राज्य में स्ट्रैटेजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इससे भी बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने का अनुमान है।

स्मार्ट मीटर्स के लिए 2,100 करोड़ रुपये

अरबपति गौतम अदाणी की अगुआई वाला ग्रुप सीवान, गोपालगंज, वैशाली, सारण और समस्तीपुर समेत पांच शहरों में बिजली खपत की निगरानी को ऑटोमेट करने की दिशा में काम करेगा। अदाणी ग्रुप 28 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर बनाने और उन्हें इंस्टॉल करने के लिए 2,100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इससे 4,000 से अधिक लोगों को नौकरियां मिलेंगी।

सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी बड़ा निवेश

अदाणी ग्रुप बिहार के वारिसलीगंज में कई फेज में 10 MMTPA की सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी स्थापित करेगा। इसके लिए 2,500 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे 9,000 डायरेक्ट और इनडायरेक्ट नौकरियां मिलेंगी। इस ग्रीनफील्ड सीमेंट प्रोजेक्ट की नींव जुलाई 2024 में रखी गई थी।

एनर्जी सेक्टर में पैदा होंगी 1,500 स्किल्ड जॉब

अदाणी ग्रुप बिहार में एक अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट सेट-अप करने के लिए भी करीब 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। इस प्लांट से कम से कम 12,000 रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके ऑपरेशनल फेज के दौरान लगभग 1,500 स्किल्ड जॉब्स मिलेंगी।