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आज जैसलमेर आएंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, प्री-बजट और GST की बैठक में लेंगी हिस्सा

वित्त वर्ष 2025-26 का बजट 1 फरवरी 2025 को पेश किया जाएगा और इसके लिए वित्त मंत्री का लगातार बैठकों का दौर जारी है. इसी कड़ी में शुक्रवार 20 दिसंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश के राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट-पूर्व बैठक करेंगी. बजट 2025 से पहले ये अहम बैठक होने वाली है जिसमें राज्यों के वित्त मंत्री देश के बजट से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं और क्या उम्मीदें हैं, इसको बताने के साथ सिफारिशों का पिटारा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने रखने वाले हैं.

राजस्थान के जैसलमेर में होगी वित्त मंत्रियों के साथ बैठक

वित्त मंत्रियों के साथ ये बैठक राजस्थान के जैसलमेर में होने वाली है और इसमें कई बड़े सिफारिशों पर मुहर लगने की उम्मीद है. एक सरकारी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि ये बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के राज्यों के चुनाव के बाद कई परिस्थतियां बदली हैं. कई वित्त मंत्री अपने प्रदेश को विशिष्ट दर्जा देने की मांग रख सकते हैं और कई तरह के वित्तीय पैकेज के लिए मांगें वित्त मंत्री के सामने रख सकते हैं.

महाराष्ट्र के लिए खास तौर पर विशेष है बैठक

देखा जाए तो महाराष्ट्र खास तौर पर अपने माइक्रो-स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए राजकोषीय सपोर्ट की मांग कर सकता है. महाराष्ट्र की प्लानिंग है कि एमएसएमई के लिए एक केंद्रीयकृत क्षेत्र या हब के तौर पर इस सेक्टर के लिए स्पेशल पैकेज का अनुरोध किया जा सकता है.

जीएसटी काउंसिल की मीटिंग भी जैसलमेर में होगी

इस बजट-पूर्व बैठक के साथ वित्त मंत्री को 21 दिसंबर 2024 को जैसलमेर में ही जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक की अध्यक्षता करनी है. शुक्रवार को वित्त मंत्रियों के साथ और शनिवार को जीएसटी अधिकारियों, राजस्व सेक्रेटरी, वित्त सचिव और आर्थिक सलाहकारों के साथ वित्त मंत्री जीएसटी काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने वाली हैं.

कहां से आ रहा एलन मस्‍क के पास इतना पैसा? जल्‍द 500 अरब डॉलर भी हो सकती है नेटवर्थ

ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स ने दुनिया के 10 सबसे अमीर शख्सियतों की लिस्ट जारी कर दी है. इनमें से आठ लोग टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं. लिस्ट में शामिल दो शीर्ष रइसों की संपत्ति कुल मिलाकर 700 बिलियन डॉलर से भी अधिक है. आइए इस लिस्ट पर एक नजर डालते हैं.

लिस्ट में टॉप पर एलन मस्क

486 बिलियन डॉलर नेटवर्थ के साथ टेस्ला के सीईओ एलन मस्क इस लिस्ट में पहले नंबर पर हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप को समर्थन देने से चर्चा में आए स्पेसएक्स के फाउंडर मस्क की कई स्टार्ट-अप कंपनियों में भी हिस्सेदारी है. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स दुनिया के सबसे अमीर लोगों की रैंकिंग दैनिक आधार पर जारी करता है. इसमें अरबपतियों के प्रोफाइल पेज पर उनके नेट वर्थ की जानकारी दी जाती है. न्यूयॉर्क में हर कारोबारी दिन की समाप्ति पर आंकड़े अपडेट किए जाते हैं.

लिस्ट में जेफ बेजोस से लेकर मार्क जुकरबर्ग

इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर अमेजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेफ बेजोस हैं. टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री से जुड़े बेजोस की कुल संपत्ति 250 बिलियन डॉलर है, जबकि मस्क की कुल संपत्ति 486 बिलियन डॉलर है. फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग लिस्ट में तीसरे पायदान है, उनकी कुल संपत्ति 219 बिलियन डॉलर है.

ओरेकल कंपनी के फाउंडर लैरी एलीसन 193 बिलियन डॉलर के साथ लिस्ट में चौथे नंबर पर हैं. फ्रांसीसी अरबपति LVMH के बर्नार्ड अर्नाल्ट 179 बिलियन डॉलर के साथ पांचवें नंबर पर हैं.

सातवें नंबर पर बिल गेट्स 

इसी तरह से 174 बिलियन डॉलर और 165 बिलियन डॉलर के साथ अमेरिकी उद्योगपति लैरी पेज और माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स छठवें और सातवें नंबर पर हैं. 164 बिलियन डॉलर के साथ गूगल के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन आठवें नंबर पर कायम हैं.

वहीं नौवें नंबर पर 157 बिलियन डॉलर के साथ माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व सीईओ स्टीव बाल्मर का दबदबा है. दसवें नंबर पर 143 बिलियन डॉलर के साथ अमेरिकी बिजनेस टाइकून वॉरेन बफेट हैं.

RBI ने बंद किए 5 रुपए के सिक्के, जानें क्यों लिया गया ये बड़ा फैसला

नई दिल्ली: नए साल से पहले RBI ने बड़ा फैसला लिया है. देश में चल रहे नए सिक्के और नोट छापने का अधिकार RBI के पास है. जब RBI केंद्र सरकार के सामने नोट और सिक्के छापने का प्रस्ताव रखता है तो यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है. इसके बाद केंद्र सरकार RBI के वरिष्ठ अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों की मदद से फैसला लेती है और सिक्के और नोट छापने का अधिकार RBI को दे दिया जाता है. जब किसी नोट और सिक्के को बंद करना होता है तो भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है.

देश में अब तक कई बार ऐसा देखने को मिला है, जब सिक्के और नोट बंद किए गए. 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे. पिछले साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2000 के नोट भी बंद कर दिए थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसी तरह 5 रुपये के सिक्के को लेकर भी बैंक ने बड़ा फैसला लिया है.

क्या बंद हो चुके 5 रुपये के सिक्के

भारत की करेंसी में नोटों के साथ-साथ सिक्कों का भी हमेशा से इस्तेमाल होता रहा है. 100, 200 और 500 के नोटों के साथ-साथ 5, 10 और 20 के सिक्के अभी भी प्रचलन में हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि बाजार से पांच के सिक्के गायब हो रहे हैं. हम सभी ने पांच के सिक्के का इस्तेमाल किया है और देखा होगा कि यह दूसरे सिक्कों की तुलना में मोटा हुआ करता था. हालांकि, अब ये सिक्के धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं और इनकी जगह 5 रुपये के पतले सुनहरे सिक्के ने ले ली है.

अगर 5 रुपये का सिक्का 9 ग्राम से अधिक हो तो RBI उसको छापना कम या बंद कर देता है.

बाजार में अब वही पुराने सिक्के दिखाई दे रहे हैं जो घूमते रहते हैं. इसके अलावा हर जगह सुनहरे पतले सिक्के दिखाई दे रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ है और RBI ने पुराने सिक्कों को बंद क्यों कर दिया है? अगर नहीं, तो आइए आपको बताते हैं कि इसके पीछे क्या वजह है.

RBI ने पुराने सिक्कों को बंद क्यों कर दिया है?

मोटे पांच रुपये के सिक्कों को बंद करने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि इनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाली मेटल को पिघलाकर चार से पांच ब्लेड बनाए जा सकते हैं, जिनकी कीमत 5 रुपये से अधिक होती है. इस आर्थिक कारक के कारण सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने इन पांच रुपये के सिक्कों को बंद कर दिया.

एक नियम के अनुसार, अगर करेंसी की लागत उसके अंकित मूल्य से अधिक हो जाती है, तो उन सिक्कों या नोटों को प्रचलन से हटा दिया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर 5 ब्लेड बनाता है, और बाद में उन्हें 2 रुपये प्रति ब्लेड (कुल 10 रुपये कमाता है) में बेचता है, तो सिक्के में धातु का आंतरिक मूल्य उसके मौद्रिक मूल्य से अधिक हो जाता है. यह इस कारण से है, अन्य कारणों के अलावा, कि RBI ने कुछ खास सिक्कों, जैसे कि मोटे पांच रुपये के सिक्के के उत्पादन को रोकने का फैसला किया.

PMJJBY ने 21 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवरेज दिया: वित्त मंत्रालय

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई), और प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने आम नागरिकों के लिए वित्तीय सुरक्षा और समावेशन की दिशा में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इन योजनाओं ने करोड़ों लोगों को फायदा पहुंचाया है, जिससे उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा आई है.

पीएमजेजेबीवाई की खासियत

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत अब तक 21.67 करोड़ लोगों ने नामांकन किया है. इस योजना ने 2 लाख रुपए के जीवन बीमा कवरेज के माध्यम से 21 करोड़ से अधिक परिवारों को राहत प्रदान की है. 20 अक्टूबर 2024 तक, इस योजना के तहत कुल 8,60,575 दावे प्राप्त हुए, जिनकी कीमत 17,211.50 करोड़ रुपए थी. इस योजना का उद्देश्य लोगों को अनिश्चितता के समय वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.

पीएमएसबीवाई का प्रभाव

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दुर्घटना बीमा कवरेज में 47.59 करोड़ लोगों ने नामांकन किया है. अब तक 1,93,964 दावे दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 1,47,641 दावे वितरित किए जा चुके हैं. यह योजना मात्र ₹12 के वार्षिक प्रीमियम पर 2 लाख रुपए का बीमा कवरेज प्रदान करती है, जिससे निम्न और मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ा लाभ मिल रहा है.

पीएमजेडीवाई से लोगों को हुआ फायदा

प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 53.13 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं. इनमें से 55.6% खाताधारक महिलाएं हैं, और 66.6% खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं. इस योजना ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है. जन-धन खातों में कुल जमा राशि 2,31,236 करोड़ रुपए है. 15 अगस्त 2024 तक खातों में 3.6 गुना और जमा राशि में 15 गुना वृद्धि दर्ज की गई है.

इन योजनाओं के सफल कार्यान्वयन ने देश में वित्तीय समावेशन और सुरक्षा को मजबूत किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन योजनाओं का उद्देश्य गरीब और वंचित वर्ग को आर्थिक मजबूती प्रदान करना है. वित्त मंत्रालय के अनुसार, ये योजनाएं समाज के हर वर्ग तक पहुंच रही हैं और वित्तीय जागरूकता बढ़ाने में सहायक साबित हो रही हैं.

स्विटजरलैंड से भारतीय कंपनियों को झटका, MFN को लिया वापस… नेस्‍ले विवाद के बाद एक्‍शन!

नई दिल्ली: भारत के लिए सबसे पसंदीदा राष्ट्र (MFN) का दर्जा निलंबित करने के स्विटजरलैंड के हालिया फैसले से आईटी, फार्मा और वित्तीय सेवाओं में भारतीय निवेशकों पर असर पड़ सकता है. यह कदम ट्रेड फ्रेमवर्क को बाधित करता है जिसका भारत को पहले विश्व व्यापार संगठन (WTO) के MFN के तहत लाभ मिला था. भारतीय निवेशकों पर क्या पड़ेगा असर?

क्या है मामला?

स्विट्जरलैंड सरकार ने भारत और स्विटजरलैंड के बीच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा (MFN) सेक्शन निलंबित कर दिया है. इससे भारत में स्विस निवेश पर संभावित रूप से असर पड़ सकता है और यूरोपीय राष्ट्र में काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर अधिक टैक्स लग सकता है. कंपनियों को अब लाभांश और अन्य इनकम पर 10 फीसदी कर देना होगा, जो पहले 5 फीसदी था. ये 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होगा.

स्विस सरकार ने यह कदम पिछले साल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद उठाया गया है. इसमें कहा गया था कि अगर कोई देश OECD में शामिल होने से पहले भारत सरकार ने उस देश के साथ टैक्स ट्रीटी पर साइन किए हैं, तो MFN सेक्शन ऑटोमेटिक लागू नहीं होता है.

  • भारत-स्विट्जरलैंड डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट पर 2 नवंबर, 1994 को हस्ताक्षर किए गए थे और बाद में 2000 और 2010 में इसमें संशोधन किया गया था.

MFN दर्जा क्या है?

WTO नियमों के तहत MFN दर्जा वैश्विक व्यापार की आधारशिला है. यह अनिवार्य करता है कि देश सभी व्यापारिक साझेदारों के साथ समान व्यवहार करें, यह सुनिश्चित करें कि सबसे पसंदीदा साझेदार पर समान व्यापार शुल्क, कोटा और विनियमन लागू हों.

स्विटजरलैंड द्वारा इस दर्जे को निलंबित करने का मतलब है कि भारतीय वस्तुओं और सेवाओं को अब उच्च शुल्क, अतिरिक्त व्यापार बाधाओं और स्विस बाजार तक कम पहुंच का सामना करना पड़ सकता है.

इसका निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि MFN क्लॉज का निलंबन स्विटजरलैंड में काम करने वाली भारतीय फर्मों के लिए एक झटका है. थिंक-टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार यह निलंबन स्विटजरलैंड में काम करने वाली भारतीय फर्मों, विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों के लिए टैक्स चुनौती ला सकता है.

भारत-स्विट्जरलैंड व्यापार साझेदारी

वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत और स्विट्जरलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 23.76 बिलियन डॉलर था. इसमें से अधिकांश हिस्सा स्विट्जरलैंड से लगभग 21.24 बिलियन डॉलर का आयात था.

  • स्विटजरलैंड सोने और चांदी का आयात करता है, जिसका यूज मुख्य रूप से आभूषण क्षेत्र, फार्मास्युटिकल इंटरमीडिएट और मशीनरी में किया जाता है.
  • प्रमुख निर्यात में फार्मास्युटिकल उत्पाद, रत्न और आभूषण, कार्बनिक रसायन और मशीनरी शामिल हैं.

इस साल मार्च में भारत ने चार यूरोपीय राष्ट्र ब्लॉक EFTA के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके सदस्य आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड हैं. ब्लॉक में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार स्विट्जरलैंड है, उसके बाद नॉर्वे है.

ATM से कैसे निकलेगा EPFO का पैसा, यहां जानें कैसा और क्या होगा प्रोसेस

एम्पलॉय प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के सदस्य अगले साल से ईपीएफओ में जमा अपनी गाढ़ी कमाई सीधे एटीएम (ATM) से निकाल सकेंगे. केंदीय श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा (Sumita Dawra ) ने ये ऐलान किया है. हालांकि इसे लेकर गाइडलाइंस का सामने आना अभी बाकी है.

EPFO के 7 करोड़ सब्सक्राइबर्स होंगे लाभान्वित

नई सुविधा के तहत ईपीएफओ सदस्य सीधे क्लेम की रकम एटीएम से निकाल सकेंगे. इसके लिए ईपीएफओ के आईटी सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है. ईपीएफओ के 7 करोड़ के करीब सदस्य इसे फैसले से लाभान्वित होंगे.

तय की जा सकती निकासी लिमिट

ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) के खाताधारक, लाभार्थी या जिनका बीमा है उन्हें एटीएम से प्रॉविडेंट फंड का पैसा निकालने की इजाजत मिल सकती है. लेकिन ये माना जा रहा कि सरकार निकाले जाने वाले रकम पर लिमिट लगा सकती है. ईपीएफओ सदस्य फंड में जमा कुल रकम में से 50 फीसदी से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकेंगे.

कैसे ATM से निकलेगा PF का पैसा?

ईपीएफओ के नियम के तहत बैंक अकाउंट लिंक करना जरूरी है. ईपीएफ खाते के साथ सब्सक्राइबर्स का बैंक अकाउंट लिंक होता भी है. लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि प्रॉविडेंट फंड में जमा पैसे निकालने के लिए बैंक का एटीएम या डेबिट कार्ड इस्तेमाल होगा या कोई और कार्ड जारी किया जाएगा.

नॉमिनी को भी मिलेगी ATM से पैसे निकालने की सुविधा 

ईपीएफ सब्सक्राइबर्स के निधन होने पर लाभार्थी को एटीएम से विथड्रॉल की सुविधा का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जा सकती है. इसके लिए नॉमिनी को उस सब्सक्राइबर्स के ईपीएफ अकाउंट के साथ अपना बैंक अकाउंट लिंक करना होगा जिनका निधन हो चुका है. हालांकि इसे लेकर भी स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा. एम्पलॉय डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) स्कीम ईपीएफओ सदस्य के निधन होने पर 7 लाख रुपये तक का इंश्योरेस बेनेफिट देती है. श्रम मंत्रालय के सचिव ने बताया कि इंश्योरेंस क्लेम भी एटीएम से निकालना संभव हो सकेगा. इसका मतलब ये हुआ कि नॉमिनी या वारिस भी एटीएम से पैसे निकाल सकेंगे. हालांकि इसके लिए नॉमिनी को सब्सक्राइबर्स के ईपीएफ खाते के साथ अकाउंट लिंक करना होगा.

EPFO 3.0 होगा नए साल में लागू

नवंबर महीने के आखिरी हफ्ते में ये खबर सामने आई थी कि सरकार ईपीएफ सब्सक्राइबर्स को प्रॉविडेंट फंड में जमा गाढ़ी कमाई को एटीएम से निकालने की सुविधा देने की तैयारी में है. इसमें सब्सक्राइबर्स को प्रॉविडेंट फंड में जमा रकम में से 50 फीसदी निकालने का विकल्प दिया जा सकता है. ईपीएफओ के इस नई पॉलिसी की घोषणा सरकार नए साल 2025 में कर सकती है और मई-जून 2025 में EPFO 3.0 को लागू किया जा सकता है.

एलन मस्क ने इतिहास रचा, 400 अरब डॉलर की नेटवर्थ वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने, जानिए अब कितनी है संपत्ति

टेस्ला (Tesla) प्रमुख और दुनिया के सबसे अमीर एलन मस्क (Elon Musk) ने इतिहास रच दिया है. 400 बिलियन डॉलर के नेटवर्थ (Net Worth) वाले वे दुनिया के पहले व्यक्ति बन गए हैं. ब्लूमबर्ग बिलियनायर्स इंडेक्स के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक एलन मस्क की संपत्ति 447 बिलियन डॉलर हो गई है. दुनिया के दूसरे सबसे अमीर अमेजन (Amazon) के जेफ बेजोस (Jeff Bezos) से एलन मस्क का नेटवर्थ करीब 200 बिलियन डॉलर ज्यादा है.

SpaceX के शेयर बिकने से 50 बिलियन डॉलर बढ़ गया नेटवर्थ 

ब्लूमबर्ग बिलियनायर्स इंडेक्स (Bloomberg Billionaires Index) के मुताबिक एक ही दिन में एलन मस्क के नेटवर्थ में 62.8 बिलियन डॉलर का इजाफा देखने को मिला है जिसके बाद उनकी संपत्ति 400 बिलियन डॉलर को पार करते हुए 447 बिलियन डॉलर हो गई है. SpaceX के शेयर में बिकवाली चलते टेस्ला प्रमुख के नेटवर्थ में अचानक ये बड़ा उछाल आया है.इस बिकवाली के बाद एलन मस्क के नेटवर्थ में 50 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है. साल 2024 में ही उनकी संपत्ति में 218 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी आई है.

ट्रंप की जीत से मिला एलन मस्क को बूस्टर डोज

अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से ही एलन मस्क के नेटवर्थ में लगातार उछाल देखा जा रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के पहले से लेकर अब तक टेस्ला के शेयर में 65 फीसदी का उछाल आ चुका है. ये माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर टैक्स क्रेडिट को खत्म करेगी जिससे टेस्ला के प्रतिद्वंदी कंपनियों को फायदा हुआ है. साथ ही सेल्फ-ड्राइविंग कार को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इसी के चलते टेस्ला के शेयर में बड़ा उछाल देखने को मिला है. एलन मस्क को ट्रंप प्रशासन में प्रमुख स्थान मिला है और डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिसिएंसी (Department of Government Efficiency, के वे स-प्रमुख बनाए गए जो सरकार को फिजूलखर्च वाले खर्चों कटौती करने का सरकार को सुझाव देगी.

‘आज पद छोड़ दूंगा…’ शक्तिकांत दास ने किया पोस्ट, PM मोदी-वित्त मंत्री को कहा- थैंक्यू

हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास आज मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं. उन्होंने छह साल तक आरबीआई को अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने रिटायर होने से पहले सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा. इस पोस्ट में उन्होंने तमाम लोगों को धन्यवाद दिया है.

बता दें, उनके कार्यकाल के दौरान देश ने कई परेशानियों का सामना किया, जिसमें कोरोना काल भी शामिल रहा. उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लगातार 6 पोस्ट किए हैं. इसमें उन्होंने पीएम मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक की पूरी टीम को थैंक्स बोला है.

एक के बाद एक पांच पोस्ट

शक्तिकांत दास ने मंगलवार को ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार छह पोस्ट किए. इसके जरिए उन्होंने उन तमाम लोगों को धन्यवाद दिया, जिनके साथ उन्होंने काम किया. सबसे पहले उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा कि आज मैं आरबीआई गवर्नर के रूप में पद छोड़ दूंगा. आप सभी का समर्थन और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.

दूसरे पोस्ट में शक्तिकांत दास ने पीएम मोदी का धन्यवाद देते हुए लिखा कि पीएम मोदी का बहुत-बहुत आभार, जिन्होंने मुझे आरबीआई गवर्नर के रूप में सेवा करने का मौका दिया. उनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के लिए थैंक्यू. प्रधानमंत्री के विचारों और सोच से बहुत लाभ हुआ.

उसके बाद उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेकर पोस्ट लिखा. जिसमे उन्होंने लिखा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनके लगातार समर्थन के लिए धन्यवाद. पिछले छह सालों के दौरान तमाम चुनौतियों से निपटने में हमारी मदद की.

आरबीआई टीम को भी नहीं भूले

शक्तिकांत दास ने अपने अगले पोस्ट में भारतीय रिजर्व बैंक की पूरी टीम को भी धन्यवाद दिया. उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा कि हमने सबने साथ मिलकर कई परेशानियों का डटकर सामना किया. आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.

इसके साथ-साथ उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी याद किया. उन्होंने लिखा कि स्वर्गीय श्री अरुण जेटली का मुझ पर जो स्नेह, भरोसा और विश्वास था, उसे मैं बहुत प्यार से याद करता हूं. जब मैं आरबीआई गवर्नर (शुरुआती महीनों में) और उससे पहले राजस्व और आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में कार्यरत था.

संजय मल्होत्रा बने नए गवर्नर

बता दें, मोदी कैबिनेट ने सोमवार को राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया. वे 1990 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वे अगले तीन साल तक यह जिम्मेदारी संभालेंगे.

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की

रिजर्व बैंक के वर्तमान शक्तिकांत दास का कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. इसके बाद नए गवर्नर को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. शनिवार शाम को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से शक्तिकांत दास के मिलने के कारण यह चर्चा हो रही है कि वर्तमान गवर्नर को ही सेवा विस्तार मिल सकता है. अगर ऐसा होता है तो शक्तिकांत दास बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले आरबीआई गवर्नर बन जाएंगे, जिन्होंने 1949 से 1957 तक साढ़े सात साल तक इस पद पर कार्य किया था.

वित्त मंत्री के साथ आधे घंटे तक चली बैठक

नॉर्थ ब्लॉक में शक्तिकांत दास की यह मुलाकात मौद्रिक नीति बैठक के एक दिन बाद हुई है. दास और सीतारमण के बीच करीब आधे घंटे तक बैठक चली. शक्तिदास दास छह साल से रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं. 10 दिसंबर के बाद कोई संभावित विस्तार, चाहे वह हो या नहीं, अभी तक इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है.

रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर हैं शक्तिकांत दास

शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर, 2018 को 25वें गवर्नर के रूप में पदभार संभाला था, उनका कार्यकाल 2021 में बढ़ा दिया गया था. इससे पहले वे 15वें वित्त आयोग के सदस्य थे और भारत के जी20 शेरपा के रूप में कार्य कर चुके हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे शक्तिकांत दास ने वित्त, कर प्रशासन, उद्योग और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों  में प्रमुख पदों पर काम किया है. वित्त मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान आठ केंद्रीय बजटों को तैयार करने में उनकी भूमिका रही है.

गवर्नर बनने पर उठे थे सवाल

शक्तिकांत दास को रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाए जाने पर सवाल भी उठे थे. इसमें कहा गया था कि उनकी अकादमिक पृष्ठभूमि अर्थशास्त्र से नहीं जुड़ी हुई है. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर हैं. अगर उन्हें सेवा विस्तार मिलता है तो यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा. अभी तक उनके उत्तराधिकारी का नाम सामने नहीं आया है, इसलिए लगता है कि सेवा विस्तार मिलने की संभावना में दम है.

घर के बगल में मिलेगी पासपोर्ट बनवाने की सुविधा, केंद्र सरकार ने उठाया ये कदम

नई दिल्ली: अब पासपोर्ट बनवाने के लिए लंबी दूरी तय करने की जरूरत नहीं होगी. केंद्र सरकार ने एक नई पहल की है, जिसके तहत अगले 5 सालों में डाकघरों के जरिए पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों- POPSK) की संख्या 442 से बढ़ाकर 600 करने की योजना है. इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके नजदीकी डाकघर में पासपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराना है. इस पहल के तहत अब नागरिक अपने नजदीकी डाकघर के कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस सुविधा से लाखों लोग बिना किसी परेशानी के आसानी से पासपोर्ट बनवा सकेंगे.

डाक विभाग और विदेश मंत्रालय (MEA) के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, जिसमें कहा गया है कि 2028-29 तक यह सुविधा पूरे देश में लागू कर दी जाएगी. इसके बाद हर साल ग्राहकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होने की संभावना है, जो 35 लाख से बढ़कर एक करोड़ तक हो सकती है.

कैसे बनेगा पासपोर्ट?

अभी तक पासपोर्ट सेवा केंद्रों पर जाकर आवेदन करना पड़ता था, लेकिन अब यह सेवा डाकघर के सीएससी काउंटर पर भी उपलब्ध है. इसके लिए आपको डाकघर की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्टर करना होगा. आपको आवेदन पत्र जमा करना होगा. इसके बाद आपको एक डेट दी जाएगी, जिस दिन आपको अपने जरूरी डॉक्यूमेंट के साथ वैरिफाई के लिए डाकघर जाना होगा

किन डॉक्यूमेंट की जरुरत होगी?

पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए आपको जन्म प्रमाण पत्र, हाई स्कूल की मार्कशीट, पैन कार्ड, वोटर आईडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड और नोटरी द्वारा बनाया गया हलफनामा जैसे दस्तावेजों की जरूरत होगी. इन डॉक्यूमेंट वैरिफाई के बाद आपका फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन भी किया जाएगा. अगर सब कुछ सही पाया जाता है, तो आपका पासपोर्ट जारी कर दिया जाएगा.