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बाजार से गायब 2000 के नोटों पर RBI का बड़ा अपडेट, बताया बंद होने के बाद भी कितने हजार करोड़ दबाकर बैठे हैं लोग

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को 2000 रुपये के करंसी नोटों को लेकर ताजा जानकारी साझा की है. RBI के मुताबिक, 2000 रुपये के नोटों में से 98.01% नोट वापस आ गए हैं.

केंद्रीय बैंक ने बताया कि 19 मई, 2023 को बाजार में मौजूद 2000 रुपये के नोटों का मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था, जो 29 नवंबर, 2024 को दर्ज आंकड़ों के अनुसार घटकर सिर्फ 6,839 करोड़ रुपये रह गया है. RBI ने कहा कि बाजार में मौजूद ये नोट अभी भी वैध हैं. इन नोटों को आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों में जमा किया जा सकता है.

गौरतलब है कि सभी बैंक शाखाओं में 2000 रुपये के नोट जमा करने या बदलने की सुविधा 7 अक्टूबर, 2023 तक थी. अब देश भर में विभिन्न शहरों में मौजूद आरबीआई के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों में इन नोटों को जमा किया जा सकता है. RBI के क्षेत्रीय कार्यालयों ने अक्टूबर 2023 से व्यक्तियों और संस्थाओं से बैंक खातों में जमा करने के लिए 2,000 रुपये के बैंक नोट स्वीकार किए जा रहे हैं.

लोग किसी भी डाकघर से भारतीय डाक के माध्यम से भी RBI के इन कार्यालयों को 2000 रुपये के नोट भेज सकते हैं, जिन्हें बाद में उनके खातों में जमा किया जाएगा.

आरबीआई के 19 कार्यालयों में जमा किए जा सकते हैं नोट

जमा और विनिमय को संभालने वाले आरबीआई के 19 कार्यालय अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुरम में स्थित हैं.

2,000 रुपये के बैंक नोटों को नवंबर 2016 में पेश किया गया था, जब तत्कालीन केंद्र सरकार ने नोटबंदी के तहत 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की थी.

कैंसिल हुई पीएम इंटर्नशिप स्कीम की लॉन्चिंग, जानें अब किस तारीख को शुरू हो सकती है योजना

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की शुरुआत फिलहाल टाल दी गई है. इस योजना को 2 दिसंबर को शुरू किया जाना था, लेकिन इसे टाल दिया गया है. अभी कोई नई तारीख तय नहीं की गई है. योजना की नई डेट की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी.

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार पीएम इंटर्नशिप योजना की नई तारीख जल्द ही घोषणा की जाएगी. इस योजना का उद्देश्य टॉप भारतीय इंक फर्मों में 12 महीने की अवधि के लिए पायलट रन में 1.25 लाख छात्रों को इंटर्नशिप के अवसर देना है. आज छात्रों को औपचारिक पत्र दिए जाने के साथ शुरू की गई.

इंटर्नशिप योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2024-25 में की थी. पांच साल की अवधि में 1 करोड़ छात्रों को इंटर्नशिप के अवसर देने का लक्ष्य रखा गया था. इसका उद्देश्य युवाओं को बड़ी कंपनियों में काम करने का मौका देकर उनकी रोजगार क्षमता में सुधार करना है.

इस योजना के लिए कंपनियों ने कुल 1.27 लाख इंटर्नशिप के अवसर पोस्ट किए गए थे. इनके मुकाबले करीब 6.21 लाख आवेदन मिले हुए हैं. युवाओं के पंजीकरण के लिए पीएम इंटर्नशिप योजना पोर्टल 12 अक्टूबर 2024 से 15 नवंबर 2024 तक खोला गया था.

वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 2,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी, जिसमें से 20 नवंबर तक 6.04 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. 21 से 24 वर्ष की आयु के उम्मीदवार, जिन्होंने कम से कम कक्षा 10 उत्तीर्ण की है, वे इस योजना के लिए पात्र हैं. सरकार प्रत्येक उम्मीदवार को 6,000 रुपये का एकमुश्त भत्ता और साथ ही 4,500 रुपये मासिक वजीफा देगी. कंपनी प्रत्येक उम्मीदवार को प्रति माह 500 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करेगी.

नवंबर में भरा सरकारी खजाना, GST कलेक्शन 8.5 प्रतिशत बढ़कर इतने लाख रुपये हुआ

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. नवंबर 2024 में भारत का GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) कलेक्शन 8.5% बढ़कर 1.82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. बढ़ते जीएसटी कलेक्शन का मतलब है भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और आर्थिक गतिविधियों में तेजी. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर के इस कलेक्शन ने अप्रैल से नवंबर तक के कुल जीएसटी कलेक्शन को 14.57 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिआ है.

अक्टूबर में भी हुआ था रिकॉर्ड कलेक्शन

पिछले महीने यानी अक्टूबर 2024 में भी जीएसटी कलेक्शन में 9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. अक्टूबर का कुल कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ रुपये था, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन था. इसमें घरेलू बिक्री में तेजी और बेहतर अनुपालन का अहम योगदान था.

अक्टूबर का कलेक्शन

केंद्रीय जीएसटी (CGST): ₹33,821 करोड़

राज्य जीएसटी (SGST): ₹41,864 करोड़

एकीकृत जीएसटी (IGST): ₹99,111 करोड़

सेस: ₹12,550 करोड़

जीएसटी कलेक्शन में बढ़त क्या दिखाता है

बढ़ा हुआ जीएसटी कलेक्शन सरकार को विकास कार्यों में अधिक निवेश का मौका देता है. इससे सड़क, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं को सुधारने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, उच्च जीएसटी संग्रह दिखाता है कि अर्थव्यवस्था में मांग और खपत बढ़ रही है. यह कंपनियों की बिक्री और सेवाओं में हो रही वृद्धि का भी प्रमाण है. हालांकि, बढ़ता हुआ जीएसटी कलेक्शन महंगाई का भी संकेत हो सकता है. अक्सर कंपनियां टैक्स का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं.

जीएसटी में सुधार के संकेत

हाल ही में जीएसटी परिषद के मंत्री समूह ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी हटाने और अन्य दरों में बदलाव पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है. 21 दिसंबर को जैसलमेर में होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में इस पर फैसले लिए जा सकते हैं. प्रमुख संभावित बदलावों की बात करें तो इसमें हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी को हटाने या दरों को कम करने पर विचार किया जा सकता है. इसके अलावा, रोजमर्रा की कई वस्तुओं पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है.